विश्वकर्मा समाज की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति पर गहन विश्लेषण

राजनीतिक विश्लेषण :

सन्दर्भ : श्री उपेंद्र बाबू के प्रश्न के परिप्रेक्ष्य में
RJD: विधायक अख्तरुल इमाम श्री भोला यादव और पूर्व सांसद श्री ललित यादव के साथ श्री लालू यादव और फिर श्री तेजस्वी यादव के साथ वार्ता हुई थी। दोनों नेता बोले कि MP चुनाव में RJD का साथ दीजिए। विधान सभा में हिस्सेदारी मिलेगी। लेकिन, इनके आश्वासन के अनुसार लोगों में समन्वय नहीं बन सकी। वोट मांगने वाले नेता को हमारे लोग यह नहीं बोला कि “हमारे समाज के नेता …….(फलाना बाबू) हैं। उनसे मिलिए उनका फरमान हीं हमारा समाज मानता है।” इतना भर झूठ बोलने में क्या जाता है। लेकिन हमारे लोग ऐसा नहीं करेंगे। चुनाव के अवसर पर हमारे समाज के लगभग सभी के सभी खुद नेता बन जाते हैं और वोट भीखमंगा को भगवान्/ माई बाप मान कर उन्हें वोट दे देते हैं/ वोट (जो बेटी समान माना जाता है) बेच देते हैं। अर्थात, रैली में बड़ी बड़ी बातें लोग बोले और सुने। फिर फील्ड में हीं छोड़ कर अपने अपने घर को चल दिए। किसी ने अपनाया नहीं।
LJP (R) : डॉ सत्यानंद शर्मा को खगड़िया से MP टिकट की बात कहने के बाद भी टिकट नहीं मिला। क्योंकि पैसा के प्रतियोगिता में बिहार में कोई भी बढ़ई लोहार टिक नहीं ले पाता है। बाद में पार्टी के हमारे लोगों को सांत्वना यह मिला कि खगड़िया से किसी विश्वकर्मा (सोनार) को हीं न टिकट दिए हैं। आपलोग पार्टी में काम करिए आगे मौका जरूर मिलेगा।
BJP+ JDU : किसी से कोई बात नहीं हो सकी। दोनों पार्टी बुझता है कि यह (लोहरवा+बढ़ीवा) जायेगा कहां।
विश्वकर्मा काष्ठ शिल्पी विकास समिति की मजबूरी : (१) गांधी मैदान की बढ़ई रैली (4.4.2018) में BJP+JDU के नेता को बुलाया। ज्यादातर RJD के हमारे लोगों ने मैसेज फैला दिया कि संगठन के लोग बढ़ई को BJP के हाथों बेच दिया। फलस्वरूप रैली प्रभावहीन हो गई। (२) मिलर हाई स्कूल मैदान की बढ़ई रैली (29.01.2024) किसी नेता को बुलाने पर सहमती नहीं बनी। अर्थात रैली नेता विहीनता का शिकार हो गया। फिर एक संगठन ने बाद में लोहार, बढ़ई, सोनार, ठठेरा, शिल्पकार (पत्थर तरसने वाला जाति) और कुम्हार (६ जाति) की रैली किया, जिसमें 99% बढ़ई की उपस्थिति थी. अत्यधिक कम उपस्थिति के कारण खुद तो फ्लॉप हो हीं गया और 29.1.2024 के रैली को भी प्रभावहीन करने में घी डालने का काम किया क्योंकि विश्वकर्मा का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला जाति लोहार तुरंत बाद उसी फील्ड में लोहार रैली कर दिया।
विश्वकर्मा के 6 जाति के नाम पर बढ़ई हो रहा है दिग्भ्रमित कैसे ? जानिए ऐसे : लोहार का ST का मुद्दा है, जिसके कारण वे बढ़ई के साथ आना नहीं चाहता है। लोहार के अधिक महत्वाकांक्षा के कारण हीं “अखिल भारतीय विश्वकर्मा महासंघ” खंडित हुई थी। 1979-80 तक बढ़ई लोहार का एक हीं संगठन था। इसको पाटने के लिए विश्वकर्मा काष्ठ शिल्पी विकास समिति के तत्कालीन महासचिव श्री राम भरोस शर्मा जी कई प्रयास/बैठक किए। बहुत ऊर्जा, धन, समय खपाने के बाद भी असफलता हाथ लगी। सोनार अपने को वैश्य मानता है। अधिकतर सोनार नहीं जानते हैं कि बढ़ई लोहार etc की तरह वे भी विश्वकर्मा के संतान हैं। बिहार में ठठेरा कसेरा की आबादी नगण्य है। पत्थर शिल्पी बिहार में है हीं नहीं। तो कौन ठगा रहा है और कौन ठग रहा है। निर्णय पाठकों को लेना है। मुझे नहीं। मैं तो अपने हिस्से का काम नौकरी में प्रवेश काल (1980) से (अब पेंशन आधारित) अपनी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कर रहा हूँ। श्री राम भरोस शर्मा जी भी नौकरी में रहते (1995) से कर रहे हैं। बिहार के 90% जिला के आदरणीय प्रबुद्ध लोगों का साथ मिल रहा है।
संभावित रैली 2025 : देखिए अब किस नेता को बुलाने पर सहमती बनती है……?
बढ़ई की ताकत : आज की आर्थिक आधारित राजनीति में हमारे लोग टिक नहीं ले पाते हैं। धनवान बढ़ई को केवल कुबेर बनने की भूख है राजनीति की नहीं? और जिसको भूख है वह कुबेर नहीं। जिसमें चाहत है वह वोटकटवा की श्रेणी में भी खड़ा नहीं होता है।
दुर्भाग्य : 2020 विधान सभा चुनाव में लोक जन पार्टी (से) ने विश्वकर्मा काष्ठ शिल्पी विकास समिति की ताकत को समझते हुए संगठन के कहने पर 24 बढ़ई और 8 लोहार को टिकट दिया। प्रत्येक बैठकों में यादव, मल्लाह, दुसाध, कोइरी कुर्मी एकता का उदाहरण देनेवाला यह दोनों जाति (बढ़ई लोहार) केवल अपने जाति के कैंडिडेट्स को वोट दे देता तो किसी भी कैंडिडेट्स को १० हजार से कम वोट नहीं मिलता मगर बढ़ई लोहार भाई ऐसा नहीं किया। अर्थात अपनी परिणामी एकता का मैसेज देने में बढ़ई लोहार असफल रहा, जो इसके सोच की छीनता को प्रमाणित किया है। तब माना जा रहा था कि श्री पिंटू शर्मा टक्कर दे रहे हैं। मगर इन्हें भी मात्र 2700 वोट से संतोष करना पड़ा जो उक्त सभी (24+8+ 4 निर्दलीय यथा श्री शैलेन्द्र कौशिक, श्री भरत व्यास, श्री शिव शंकर शर्मा, श्री ज्ञानी शर्मा) कंडीडेट्स में सर्वाधिक रहा।
शर्म की बात : लालगंज के चुनाव में BJP का झण्डा लिए हमारे लोग हीं श्री शैलेन्द्र कौशिक (बढ़ई) जी के खिलाफ प्रचार किया था और आज वही नेता विगत दो साल पूर्व एक नया संगठन बना राष्ट्रीय प्रवक्ता बन बढ़ई का सिरमौर बनने के फिराक में है। दूसरे नेता भी एक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इन्हें पार्टी हित में प्रचार हीं करना था तो निडरता के साथ पार्टी से लड़कर दूसरा विधानसभा क्षेत्र लेना चाहिए। दुर्भाग्य देखिए हमारे कुछ युवा का कि अपनी व्यक्तिगत स्वार्थ में/ झूठी महत्वाकांक्षा में ऐसे लोगों के पीछे पीछे अपनी ऊर्जा को खपा रहा है।
इस बार हमारे लोगों का झुकाव : 80% NDA के पक्ष में दिख रहा है। बावजूद, देखिए
आगे होता है क्या ?
मेरा व्यक्तिगत मत : जिस किसी कैंडिडेट्स ने पार्टी से बगावत कर खड़ा हुआ या तो जीता है या फिर हराने की भूमिका को प्रमाणित कर दिखाया है। बाद में लक्ष्य को भी पाया। अतः हमारे समाज के सभी नेता हिम्मत जुटा अपने अपने पार्टी का पद त्याग कर बढ़ई एकता का परिचय देते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गौडी शंकर शर्मा की पार्टी “लोक समाज पार्टी (किसान गेहूं वाल छाप)” को स्वीकार कर ले। २०३ सीट पर चुनाव लड़े। ४० सुरक्षित के लिए पार्टी जिसे कहे समर्थन कर दे। सभी संगठन और हमारे नेता अभी से ऐसा करना और बैठक/प्रचार करना शुरू कर दे। 77 साल गवांए हैं इस 5 साल के लिए कलेजा पत्थर कर हिम्मत जुटावें तो मेरा अटूट विश्वास है कि 2025 नहीं तो 2030 परिणाम लेकर रहेंगे।
लोक समाज पार्टी हीं क्यों? : दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हैं। खुद के बल पर करीब ६ साल से पार्टी चला रहे हैं। दिल्ली, UP और छत्तीसगढ़ में लगभग प्रत्येक रविवार को कुछ न कुछ पार्टी कार्यक्रम करते रहते हैं। सत्ता पक्ष को ललकारते रहते हैं। कॉलेजियम सिस्टम पर सुप्रीम कोर्ट को भी घेरते रहते हैं। हिम्मत के भी धनी हैं। बिहार में पार्टी कार्यक्रम करने के इच्छुक दिखते हैं।
युवाओं से अनुरोध : अध्ययन करें। स्वतंत्रता सैनानी, डॉ लोहिया, श्री कृष्ण सिंह, कर्पूरी, लौकपुरुष स्व कामेश्वर प्रसाद शर्मा (कामेश्वरनगर) के इतिहास को पढ़ें। अपने इतिहास को जाने। और तब, राजनीति या संगठन में मुख्य भूमिका प्राप्त करें। माननीय, इतिहास आपके नाम हीं होगा। अन्यथा…….? जिस समाज ने अपने पूर्वजों के इतिहास पर गर्व कर रहा है। आदर दे रहा है। सत्ता पाया है।
अन्यथा : अर्थ और राजनीतिक जागरूकता विहीन हमारा समाज या कहिए बढ़ई लोहार साल दर साल पीछे होते जाएगा। यह अकाट्य सत्य है।
अपनी मुंह मियां मिठ्ठू :समस्तीपुर में दो विधायक (एक दिवंगत) दूसरा श्रीमती अश्वमेध देवी ने कई अवसरों पर भीड़ में पार्टी बैठक में भाषण दिए थे/ दी हैं कि मुझे शिव पूजन बाबू MLA बना दिए। एक MLA (दिवंगत) ने मेरा शिकायत DM श्री RK महाजन सर से किया तो उनके खुद के कार्यकर्ता एक कार्यक्रम में उनको जूता का माला पहना दिया। etc……। मेरे उत्कृष्ट कार्यों के लिए “अनुसूचित जाति आदिवासी विकास मंच बिहार झारखंड” के द्वारा भारतरत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के पुण्य तिथि (14.2.2025) के अवसर पर मुझे सम्मानित किया है। शायद मैं न होता तो श्री कामेश्वर प्रसाद शर्मा जी को जेल जाने से कोई बचा नहीं पता क्योंकि उनकी राजनीतिक लड़ाई तत्कालीन उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्री गजेंद्र प्रसाद सिंह से थी। आजाद भारत में गुलाम ४४५ परिवार बंधुआ मजदूरों को जुल्मी जमींदारों से आजाद कराने तथा इन्हें जमीन आवंटित कर ईमानदारी पूर्वक घर बनवाने वो बसाने जैसे कई साहसी कार्यों को लेकर कामेश्वर बाबू के जीवनोपरांत राजस्व ग्राम घीवाही का नाम बदलकर सरकार ने कामेश्वरनगर रख दिया। स्व शर्मा, सहकारिता सहयोग समिति चलाते थे, जो निबंधित था। इनके ईमानदारी के आधार पर ४४५ परिवारों का इन्दिरा आवास घर बनाने का २१ लाख २५ हजार रुपया इस सोसाइटी के खाता में जिला प्रशासन ट्रांसफर किया था, जिसका ऑडिट कराने का शौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ था। ईमानदारी ऐसी कि १९ लाख ८३ हजार में सभी घर बनी थी। शेष पैसा सरकार को वे वापस कर दिए थे। ऐसे अपने योद्धा को याद करने का फुर्सत आज मेरे शिवा किसी बढ़ई संगठन को नहीं है। इत्यादि इत्यादि मेरा और मेरा खुद के तथा विश्वकर्मा काष्ठ शिल्पी विकास समिति के अनगिनत उपलब्धियां है।
मगर, बढ़ई समझे तब न।
पाठकों का कर्तव्य : इस मैसेज को समाज के नेता एवम् नेतृत्वकर्ता के मोबाइल पर/ ग्रुप पर पोस्ट करने में कृपया कंजूसी नहीं करें। एकता हित में इतना मात्र जरूर करिए।
विश्लेषक : शिव पूजन ठाकुर (9931640658), प्रदेश महासचिव, विश्वकर्मा काष्ठ शिल्पी विकास समिति बिहार -सह- संयोजक, बढ़ई विश्वकर्मा समन्यव समिति बिहार

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This Post Has One Comment

  1. Ramesh Kumar

    पूरा सच बात आपने लिख दिया है, भाइयों से निवेदन है इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें

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