माननीय सर्वोच्च न्यायलय में वाद संख्या 202/95 टी एन गोदावर्मन त्रिमूलकपाद वनाम भारत संघ एवं अन्य में 5.10.2002 के पूर्व आवेदित आरामील को प्राथमिकता के आधार पर अनुज्ञप्ति निर्गत करें.

प्रेस रिलीज़
माननीय सर्वोच्च न्यायलय में वाद संख्या 202/95 टी एन गोदावर्मन त्रिमूलकपाद वनाम भारत संघ एवं अन्य में 5.10.2002 के पूर्व आवेदित आरामील को प्राथमिकता के आधार पर अनुज्ञप्ति निर्गत करें । इसके लिए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग बिहार सरकार को न्यायालय ने निर्देश दिया कि इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए दिशा निर्देश जारी करें । केंद्रीय वन विभाग ने मार्च 2016 में ही दिशा निर्देश बिहार सरकार को भेज दिया था। दिशा निर्देश के आलोक में बिहार सरकार ने राज्य स्तरीय कमिटी(एसएलसी) का गठन हो चुका है किंतु सरकार के इच्छाशक्ति के कमी के कारण 9 वर्ष बीत चुके लेकिन आरामिलों का अनुज्ञप्ति निर्गत नहीं किया जा सका । विश्वकर्मा काष्ठ शिल्पी विकास समिति बिहार के द्वारा की गई आंदोलन के पश्चात् संकल्प संख्या-2083 दिनांक 06.06.2023 एवं संकल्प संख्या-3240 दिनांक 29.08.2023 के द्वारा वन विभाग को आदेश दिया दिया की बिहार को इकाई मानते हुए राज्य में 3200 आरामिल रहेंगे जबकि 29.10.2002 के पूर्व लगभग 900 वैसे आवेदित आरामिल हैं जिसे अनुज्ञप्ति नहीं मिला है।
ज्ञातव्य हो कि 2000 से पूर्व ही 2701 आरामिल अनुज्ञप्तिधारी है । बिहार सरकार 500 आरामिल को ही अनुज्ञप्ति देने का निर्णय लिया है । 29.10.2002 के पूर्व लगभग 400 आवेदित आरामिल जो अनुज्ञप्ति के लिए आशा लगा के बैठे रह जायेंगे। वन विभाग उक्त 500 आरामील का अनुज्ञप्ति देने में भी टाल मटोल की नीति अपना रही है। कई बार SLC की बैठक में हो हंगामा होने के बाद भी महीना दो महीना का समय ले लेकर अनुज्ञप्ति निर्गत का आदेश नहीं दे रही हैं । विदित हो की 18 अक्टूबर 2023 को प्रधान सचिव वंदना प्रियशी के हस्तक्षेप के बाद ही निर्णय हुआ की नवम्बर 2023 तक सभी को अनुज्ञप्ति निर्गत कर दिया जाएगा किंतु नवंबर 2024 भी बीत गया लेकिन अभी तक विभाग के इच्छा शक्ति नहीं रहने के कारण टाल मटोल की जा रही है। कई बार वन विभाग के माननीय मंत्री प्रेम कुमार से वार्ता हुई लेकिन आश्वासन के बाद कोई परिणाम नहीं आया। पुनः दिसंबर 2024 तक अनुज्ञप्ति निर्गत करने का आश्वासन मिला है। अगर समय सीमा के अंदर अनुज्ञप्ति निर्गत नहीं की गई तो आंदोलन के सिवा दुसरा रास्ता नहीं बचेगा। नीतीश कुमार माननीय मुख्यमंत्री कहते है कि बिहार में कानून का राज चलता है लेकिन दैश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के 9 वर्ष बीत जाने के बाद भी न्यायदेश का अनुपालन बिहार सरकार नहीं करा पाई। दूसरी तरफ़ वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मी द्वारा लूट खसोट जारी है लोग त्राहिमाम कर रहे हैं और कोई सुनने वाला नहीं है। फॉरेस्टर और रेंजर द्वारा नये नये अवैध आरामिल नजराना लेकर बैठाए जा रहें है। अवैध आरामिल कुकुरमुत्ते की तरह चल रहे है। वन प्रमंडल पदाधिकारी के आदेश का भी अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
राम भरोश शर्मा
सदस्य
राज्य स्तरीय कमिटी
पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार ।
सह
पूर्व महासचिव
विश्वकर्मा काष्ठ शिल्पी विकास समिति बिहार
Mo no- 8789094835